भोपाल। अमृतसर में गोल्डन टेंपल के दीदार… श्रीनगर का शिकारा, पहलगाम की बर्फीली पहाड़ियां और कारगिल की ऐतिहासिक चोटियों को निहारते हुए भोपाल का एक पर्यटक दल लद्दाख की ऊंचाई तक जा पहुंचा…! करीब साढ़े 17 हजार फीट की ऊंचाई और न्यूनतम से भी कई डिग्री नीचे सफर करते पारे से दो दो हाथ करते इस दल की वापसी का सफर नवाबों के शहर लखनऊ से तय हुआ। यहां मेट्रो के सफर के दौरान इस पर्यटक दल ने अपनी कुछ कीमती वस्तुएं सफर की हड़बड़ी में मेट्रो में छोड़ दीं। वापसी फ्लाइट के निर्धारित समय ने इतनी मोहलत भी न दी कि वे अपना सामान खोज सकें। इसी कश्मकश में मोबाइल पर एक अननॉन कॉल आया और इस पर्यटक दल के चेहरों पर तसल्ली की लकीरें बिखरती गईं।
एक निजी न्यूज चैनल के रिपोर्टर फरहान खान और उनके दोस्त रवि पाजी,जावेद खान, नसीम खान, ये चारों दोस्त एक साथ कश्मीर टूर पर निकले थे। पंजाब में दोस्त रवि पाजी के घर की दावत खाकर और अमृतसर में गोल्डन टेंपल के दीदार के बाद काफिला श्रीनगर के लिए बढ़ा। सफर चलते हुए पहलगाम और सोनबर्ग के अलावा चंदनबाड़ी के नजारे देखते हुए कारगिल की तरफ बढ़ा। इसके बाद इनका रुख ऊंचाई की ओर चला और काफिला साढ़े सत्रह हजार फीट ऊंचाई पर लद्दाख जा पहुंचा। न्यूनतम से भी नीचे रहने वाले तापमान से गुजरते हुए यह पर्यटक दल वापसी के लिए चला तो मन ढेर सारी सुनहरी यादों से सराबोर हो चुका था।
और हो गई गड़बड़….
भोपाल के वापसी सफर के लिए पहले अमृतसर आना तय था। लेकिन यहां से भोपाल के लिए सीधी फ्लाइट नहीं थी। सुविधा के लिहाज से लखनऊ होते हुए भोपाल की फ्लाइट तय की गई। लखनऊ पहुंचे इस दल ने नवाबों के शहर के दर्शन को तरजीह दी। शाम 7 बजे की फ्लाइट के लिहाज से इन्होंने ईमामबाड़ा, भूल भुलैया, अमीनाबाद और चौक बाजार की सैर कर डाली। एयरपोर्ट के लिए चारबाग से सीसीएस एयरपोर्ट के इन्होंने मेट्रो ली। सफर की हड़बड़ी में इन पर्यटकों का हैंड बैग मेट्रो में ही छूट गया। फरहान और नसीम जब एयरपोर्ट में दाखिल हो गए, तब उन्हें इस गलती का अहसास हुआ। जरूरी दस्तावेजों और नगद राशि से लैस इस हैंड बैग के छूटने का मलाल लिए फरहान और नसीम पसोपेश में पड गए।
फिर बजी सुकून की घंटी
फरहान और नसीम हैंड बैग को लेकर चिंतित थे ही इतने में उनके मोबाइल पर एक अनजाने नंबर से कॉल घनघनाया। उधर से आई आवाज चारबाग मेट्रो स्टेशन कंट्रोलर शिव सिंह की थी। सिंह ने मेट्रो में मिले बैग की जानकारी देते जरूरी खानापूर्ति करते हुए इसे ले जाने की बात कही। फरहान ने अपने एयरपोर्ट पहुंच जाने और फ्लाइट का समय हो जाने की बात बताई। स्टेशन कंट्रोलर शिव सिंह ने फरहान को आश्वस्त किया कि उनका सामान सुरक्षित है, जिसे वे फॉर्मेलिटी पूरी कर वापस ले सकते हैं। उसके लिए कोई समय सीमा नहीं है। इस खबर ने फरहान को सुकून दिया और वे अपनी भोपाल यात्रा की तरफ बढ़ गए।
शायरों की बड़ी भूमिका
फरहान ने मेट्रो स्टेशन कंट्रोलर से मिली सूचना की जानकारी भोपाल में अपने करीबी वरिष्ठ पत्रकार और शायर डॉ महताब आलम को दी। डॉ आलम ने इस मामले को तत्काल लखनऊ में मौजूद अपने शायर मित्र पपलू लखनवी को दी। पपलू लखनवी ने खासतौर से समय निकाला और चारबाग मेट्रो स्टेशन पहुंचे। कंट्रोलर शिव सिंह ने बड़े सौहाद्र और सम्मान के साथ फरहान का मेट्रो में छूटा हुआ बैग पपलू लखनवी को सौंप दिया। अब लखनऊ से भोपाल तक वापस आने के लिए भी इस सामान को दो अंतरराष्ट्रीय शायरों मंजर भोपाली और डॉ अंजुम बाराबंकवी का सहयोग मिलने वाला है भोपाल के यह दोनों शायर 26 अक्टूबर को लखनऊ में होने वाले एक ऑल इंडिया मुशायरा में शामिल होने के लिए जा रहे हैं। पपलू लखनवी इन शायरों के साथ फरहान का खोया हुआ बैग वापस भेजने वाले हैं।
फरहान बोले, शुक्रिया मेट्रो…
बड़ी नगद राशि से ज्यादा जरूरी वह दस्तावेज थे, जो बैग में मौजूद थे। इनकी वापसी की खबर से फरहान गदगद हैं। उन्होंने लखनऊ मेट्रो, प्रबंधन और स्टेशन कंट्रोलर शिव सिंह को खास शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने सहयोग की कड़ी बने पपलू लखनवी, मंजर भोपाली, डॉ अंजुम बाराबंकवी और डॉ महताब आलम का भी खास आभार जताया है।