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मास्टर स्ट्रोक बना भाजपा की फांस, प्रदेशभर से उठने लगा विरोध,39 में से 16 नाराज

भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा ने 17 अगस्त को 39 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है। कहा गया कि यह मास्टर स्ट्रोक है। इससे हारी हुई सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों को तैयारी करने के लिए वक्त मिलेगा। इन सीटों पर हार को जीत में तब्दील किया जा सकता है। हालांकि, यह परेशानी का सबब बन गया है। 39 में से 16 सीटों पर विरोध हो रहा है।
भोपाल में मध्य प्रदेश के भाजपा कार्यालय पर हर दिन अलग-अलग क्षेत्रों से कार्यकर्ता आ रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। सोनकच्छ के पूर्व विधायक राजेंद्र वर्मा के सैकड़ों समर्थकों ने भोपाल में ढोल-नगाड़े के साथ प्रदर्शन किया। यह लोग राजेश सोनकर की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं, जो सांवेर से सोनकच्छ आकर चुनाव लड़ रहे हैं। राजेंद्र वर्मा के पिता फूलचंद वर्मा देवास संसदीय सीट से चार बार और उज्जैन से एक बार सांसद रहे हैं। उनके निधन के बाद ही राजेंद्र को सोनकच्छ विधानसभा सीट से विधायक का टिकट दिया गया था, जो देवास संसदीय सीट का हिस्सा है।

इन सीटों पर हो रहा विरोध

  1. सबलगढ़ः मुरैना जिले की सबलगढ़ सीट पर पूर्व विधायक मेहरबान सिंह की बहू सरला विजेंद्र रावत उम्मीदवार है। 2018 में कांग्रेस के बैजनाथ कुशवाह ने रावत को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। फिर भी उन्हें टिकट दिया है। इस पर पार्टी के प्रदेश मंत्री रणवीर रावत का विरोध सामने आया था।
  2. गोहदः भिंड में गोहद (अजा) में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक रणवीर जाटव को टिकट न देते हुए भाजपा ने लालसिंह आर्य पर भरोसा जताया। जाटव यहां पर कांग्रेस टिकट पर 2018 में जीते थे लेकिन 2020 में भाजपा के टिकट पर हार गए थे। आर्य 2013 में इस सीट पर विधायक थे।
  3. पिछोरः शिवपुरी की पिछोर सीट पर भाजपा ने प्रीतम लोधी को उम्मीदवार बनाया है। ब्राह्मणों और कथावाचकों पर टिप्पणी करने वाले प्रीतम लोधी को पार्टी से निकाला गया था। कुछ ही महीने पहले उनकी वापसी हुई है। 2018 में प्रीतम लोधी इस सीट पर 2675 वोट से हारे थे। 2008 से यहां कांग्रेस का विधायक है। ब्राह्मण समाज में लोधी के नाम को लेकर विरोध है।
  4. चाचौड़ाः गुना जिले की चाचौड़ा विधानसभा सीट पर भाजपा ने आईआरएस अफसर प्रद्युमन मीणा की पत्नी प्रियंका मीणा को उम्मीदवार बनाया है। 2013 में यहां भाजपा की ममता मीणा जीती थीं, लेकिन 2018 में हार गई थीं। उन्हें कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह ने 9797 वोट से हराया था। प्रियंका छह महीने पहले भाजपा में आई हैं। इसे लेकर पूर्व विधायक ममता ने मोर्चा खोल दिया है।
  5. बंडाः सागर जिले की बंडा सीट पर भाजपा ने वीरेंद्र सिंह लम्बरदार के तौर पर नया चेहरा पेश किया है। 1998 से इस सीट पर एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस को जीत मिली है। 2018 में कांग्रेस के तरबार सिंह (बंटू भैया) ने अच्छी मार्जिन के साथ यहां जीत हासिल की थी। इस सीट पर पार्टी ने कई दिग्गजों को दरकिनार करते हुए लम्बरदार पर भरोसा जताया है। इस पर शाहगढ़ के रंजोर सिंह बुंदेला ने कह दिया है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
  6. महाराजपुरः छतरपुर जिले की महाराजपुर सीट पर कामाख्या प्रताप सिंह उम्मीदवार बनाए गए हैं। 1998 के बाद से यहां एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस जीत रही है। 2018 में भाजपा के मानवेंद्र सिंह इस सीट पर कांग्रेस के नीरज दीक्षित से 14 हजार वोट से हारे थे। कामाख्या प्रताप सिंह का भाजपा किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया है। उनका विरोध इस बात को लेकर है कि पार्टी ने पूर्व प्रत्याशी भवर राजा के बेटे को प्रत्याशी बनाया है।
  7. छतरपुरः छतरपुर सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक ललिता यादव को उम्मीदवार बनाया है। 2008 और 2013 में विधायक रहीं यादव का टिकट काटकर 2018 में अर्चना गुड्डू सिंह को दिया गया था। वह कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी से 3495 वोट से हारी थी। ललिता यादव को 2018 में बड़ा मलहरा से टिकट दिया था, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। टिकट घोषित होते ही अर्चना गुड्डू सिंह ने जटाशंकर तक कांवड यात्रा निकाली।
  8. चित्रकूटः सतना जिले की चित्रकूट सीट से भाजपा ने पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार को उम्मीदवार बनाया है। गहरवार 2008 में विधायक थे। 2013 और 2018 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें पार्टी ने दो हार के बाद भी चौथी बार उम्मीदवार बनाया है। इसे लेकर युवा और नाराज नेताओं ने बैठकें शुरू कर दी हैं।
  9. शाहपुराः डिंडौरी की शाहपुरा (अजजा) सीट पर पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे को उम्मीदवार बनाया है। 2013 में धुर्वे यहां से विधायक रहे हैं। पिछले चुनाव में उन्हें कांग्रेस के भूपेंद्र मरावी ने 34 हजार वोट से हराया था। लिस्ट सामने आते ही धुर्वे ने खुद ही मीडिया से कह दिया कि वह डिंडौरी से चुनाव लड़ना चाहते थे। पार्टी ने उन्हें डिंडौरी से उतार दिया।
  10. लांजी: बालाघाट जिले की लांजी सीट पर भाजपा ने राजकुमार कर्राहे को टिकट दिया है। 2013 से यहां कांग्रेस की हीना कावरे विधायक हैं। उन्होंने रमेश भटेरे को हराकर विधायकी हासिल की थी, जो 2008 में यहां विधायक थे। कर्राहे भाजपा से नाराज होकर आम आदमी पार्टी में चले गए थे। उन्हें पहले भाजपा की सदस्यता दिलाई गई और फिर टिकट दिया गया। इससे पूर्व विधायक भटेरे नाराज हैं।
  11. छिंदवाड़ा की पांढुर्णा (अजजा) सीट से पूर्व न्यायिक अधिकारी प्रकाश उइके को उम्मीदवार बनाया है। दस साल से कांग्रेस के नीलेश उइके यहां से विधायक हैं। पिछले दिनों कृषि मंत्री कमल पटेल छिंदवाड़ा गए तो स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया। उनका कहना है कि उन्हें बाहरी नहीं स्थानीय प्रत्याशी चाहिए।
  12. भोपाल उत्तरः भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व महापौर आलोक शर्मा को उतारा है। चार बार से कांग्रेस के आरिफ अकील विधायक हैं। 2008 में आलोक शर्मा ने इस सीट पर किस्मत आजमाई थी, लेकिन उन्हें चार हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, लिस्ट सामने आते ही खुलकर तो नहीं लेकिन दबे स्वर में विरोध भी हुआ। आलोक शर्मा का वह वीडियो सामने आ गया, जिसमें वह मुस्लिमों को लेकर आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं। यह प्रदेश की उन सीटों में से एक हैं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में हैं।
  13. सोनकच्छः देवास जिले की सोनकच्छ (अजा) सीट से भाजपा ने राजेश सोनकर को उम्मीदवार बनाया है। सोनकर इंदौर की सांवेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते भी थे। 2018 में सोनकर को कांग्रेस के तुलसी सिलावट ने हराया और फिर 2020 में भाजपा में आकर सीट पर कब्जा कायम रखा। राजेंद्र वर्मा 2013 में सोनकच्छ से जीते थे, लेकिन 2018 में उन्हें कांग्रेस के सज्जनसिंह वर्मा ने दस हजार वोट से हराया था। भाजपा ने सोनकर को सोनकच्छ से टिकट देकर एडजस्टमेंट किया है। इसका ही वर्मा समर्थक विरोध कर रहे हैं।
  14. झाबुआ: झाबुआ (अजजा) से भाजपा ने जिलाध्यक्ष भानू भूरिया को उम्मीदवार बनाया है। 2013 और 2018 में यह सीट भाजपा के पास थी। गुमान सिंह डामोर के सांसद बनने के बाद सीट खाली हुई तो कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने यह सीट 2019 के उपचुनाव में भाजपा से छीन ली। इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा में कड़ा मुकाबला रहा है। भानू भूरिया के टिकट का स्थानीय स्तर पर जोरदार विरोध है।
  15. कुक्षी: धार जिले की कुक्षी (अजजा) सीट पर जयदीप पटेल पर भरोसा किया है। 15 साल से यह सीट कांग्रेस के पास है। नये चेहरे के तौर पर जयदीप पटेल की इंट्री हुई है। पिछला चुनाव कांग्रेस ने यहां करीब 63 हजार वोट से जीता था। जयदीप पटेल का इस सीट पर विरोध हो रहा है
  16. 16. धरमपुरीः धार जिले की धरमपुरी (अजजा) सीट पर पूर्व विधायक कालू सिंह ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। ठाकुर 2013 में यहां विधायक रहे हैं। पिछले चुनाव में ठाकुर का टिकट कटा और भाजपा ने यह सीट करीब 14 हजार वोट से गंवा दी थी। ठाकुर के विरोध की वजह विवादित ऑडियो है, जिसमें वह एक महिला नेता को भद्दी-भद्दी गालियां देते सुने जा रहे हैं।