भोपाल:मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भोपाल की 7 सीटों में से 6 सीटों पर मुकाबला लॉक हो चुका है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही इन सीटों के लिए अपने.अपने प्रत्याशियों का नाम घोषित कर दिया है। वहीं भाजपा एक सीट पर अभी भी नाम तय नहीं कर पा रही है। इस सीट पर मंथन जारी है। इसके साथ कांग्रेस ने 229 टिकटों में जिन दो सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है। ये दोनो सीटें भोपाल की हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही भोपाल की 7 सीटों में से एक एक सीट पर महिला प्रत्याशी को भी टिकट दिया है। बताया जा रहा है हुजूर, दक्षिण, बैरसिया और उत्तर जेसी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला भी देखने को मिल सकता है। टिकट न मिलने से कांग्रेस के नाराज दावेदार चुनाव में उतरकर खेल बिगाड़ सकते हैं। गुरुवार को नामो का एलान होते ही कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थको ने देर रात तक जमकर जश्न मनाया।
हुजूर
इस सीट पर भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक रामेश्वर शर्मा को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने एक बार फिर नरेश ज्ञान चंदानी को मौका दिया है। 2018 के चुनाव में भी चंदानी और शर्मा के बीच मुकाबला हुआ था। शर्मा ने जीत हासिल की थी। भोपाल की इस सीट पर ग्रामीण और शहरी दोनों वोटरों का प्रभाव है।
गोविंदपुरा
भाजपा का अभेद किला मानी जाने वाली भोपाल की इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस ने बिजनेसमैन रविन्द्र साहू झूमरवाला को प्रत्याशी बनाया है। जबकि भाजपा की ओर से वर्तमान विधायक कृष्णा गौर ही मैदान में हैं। कृष्णा से पहले उनके ससुर पूर्व सीएम बाबूलाल गौर यहां से एमएलए रहे हैं। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने गिरीश शर्मा पर दांव लगाया था। शर्मा सिंधिया के साथ बीजेपी में जा चुके हैं। इस सीट पर भेल कर्मचारी वोटर बड़ी संख्या में हैं।
उत्तर
ये सीट सबसे चर्चित सीटों में से एक है। क्योंकि यहां मुकाबला पूर्व मंत्री आरिफ अकील के बेटे आतिफ अकील और पूर्व महापौर आलोक शर्मा के बीच है। अकील फैमली में पारिवारिक विवाद के चलते कांग्रेस यहां से टिकट घोषित नहीं कर पा रही थी लेकिन अंत में कांग्रेस ने अकील के बेटे को टिकट दे दिया। जबकि उनके भाई आमिर अकील भी यहां से दावा कर रहे थे। भाजपा ने अपनी पहली सूची में आलोक शर्मा के नाम का एलान कर दिया था। सीएम ने अपने प्रचार की शुरुआत इसी सीट से की है। मुस्लिम, सिंधी वोट यहां बड़ी संख्या में हैं।
मध्य
इस सीट पर मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के ध्रुव नारायण और कांग्रेस के आरिफ मसूद के बीच है। ध्रुव नारायण यहां पहले भी विधायक रह चुके हैं जबकि मसूद वर्तमान में यहां से विधायक हैं। यह सीट पर पुराने और नए भोपाल दोनों की मिली जुली सीट है। 2018 के चुनाव में मसूद ने भाजपा के सुरेंद्रनाथ को मात दी थी।
नरेला
मंत्री विश्वास सारंग भाजपा की ओर से यहां एक बार फिर मैदान में हैं जबकि कांग्रेस ने यहां चेहरा बदलते हुए मनोज शुक्ला को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के अजय सिंह राहुल भैया गुट के महेंद्र चौहान को हार का सामना करना पड़ा था। वे इस बार भी दावेदारी कर रहे थे लेकिन कांग्रेस इस बार उनके स्थान पर शुक्ला को मौका दिया है।
बैरसिया
भोपाल की यह ग्रामीण सीट है। यहां पर भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक विष्णु खत्री को चुनाव में प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार जयश्री हरिकिरण को एक बार फिर मौका दिया है।
दक्षिण पश्चिम
कांग्रेस ने इस सीट पर एक बार फिर पूर्व मंत्री पीसी शर्मा पर दांव खेला है। बताया जा रहा है कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना की दावेदारी के चलते कांग्रेस यहां से टिकट घोषित नहीं कर पा रही थी। अंत में मंथन के पीसी शर्मा के नाम का एलान कर दिया गया है। वहीं भाजपा में अभी भी नाम को लेकर पेंच फसा है। भाजपा को यहां कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहा है। पिछले चुनाव में पूर्व मंत्री शंकर गुप्ता मैदान में थे जो इस बार फिर टिकट मांग रहे हैं।
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