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मध्य प्रदेश

ऑटो में नहीं चला पा रही है जे टेक कंपनी सिस्टम,ऑपरेशन मेंटेनेंस के नाम पर सालाना दिए जा रहे करोड़ों रुपए,मामला संत सिंगाजी पावर परियोजना का

रोमी सलुजा

खंडवा। संत सिंगाजी पावर परियोजना जहा कोयल व पानी से बिजली का उत्पादन होता है यहां पर प्रथम चरण में 600 600 मेगावाट की दो युनिट है जिससे 1200 मेगावाट का बिजली उत्पादन किया जाता है वह द्वितीय चरण में 620 620 की दो यूनिट है जिससे 1320 मेगावाट का विद्युत उत्पादन होता है। यहां पर कोयले और पानी से बनने वाली बिजली के दौरान कोयला जलने पर उसके निकलने वाली छोटे-छोटे करण( मिल रिजेक्ट )को फेंकने का कार्य किया जाता है वही जला कोयला पूर्णतः जलने के बाद साईलों पर सिस्टम पाइप से पहुंचाया जाता है‌। पर बताते हैं कि फेस वन में रिजेक्ट मिल का सालाना करोड़ों रुपए का कार्य कर रही जे टेक अपने द्वारा गंभीर लापरवाही अनियमितताएं बरती जा रही है। पर विडंबना है कि इस और कोई देखने वाला नहीं है। सब कुछ मिलीभगत कर खानापूर्ति की जा रही है । और अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति की जा रही है । अब एक और गंभीर मामला जो निकाल के सामने आया जिसमें की जे टेक कंपनी द्वारा का सिस्टम ऑटो में नहीं चल रहा है और बताते हैं कि सिस्टम को बाईपास करके चलाया जा रहा है जबकि अनुमानित रेशों के हिसाब से जो कोयला जलने के बाद कोयले के कम मिल रिजेक्ट निकलती है। बने हुए साइलो पर जाना चाहिए व वही सिस्टम के नीचे गिर रही है जिससे कि वहां गंदगी और कचरा फैल रहा है और उस सिस्टम एरिया में जगह जगह राखड का भारी जमाव हो रहा है जो कि प्रदूषण के हिसाब से भी हानिकरक फेस वन में जला हुआ कोयला के ढेर फेंकने और कोयला जलने के बाद निकलने वाली राखड़ को ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस के सिस्टम से पहुंचने का काम जीटेक कंपनी को दिया गया है इसके लिए परियोजना का संबंधित विभाग ऑपरेशन मेंटेनेंस के लाखों रुपए का चार्ज भी दे रहा है । जबकि सिस्टम ही ऑटो में नहीं चल रहा है। मौके पर स्थित कुछ और बयां कर रही है इस और यदि जांच की गई तो बहुत बड़ी गड़बड़ी सामने आ सकती है। जानकारी के मुताबिक जिससे नियमों के मुताबिक काम नहीं हो रहा है और लाखों रुपए की परियोजना ( बोर्ड) को चपत लगाई जा रही है।

प्रदूषण नियमों का‌ उल्लंघन

सिंगाजी परियोजना फेस वन कोयला जलने के बाद निकलने वाले कोयले जिसे मिल रिजेक्ट जो बने साइलो सिस्टम पर पहुंचना चाहिए। बड़ी मात्रा में सिस्टम के नीचे गिर रही है जिसे कहीं ना कहीं का वही कोयले का जमवाड़ा गंदगी हो‌ रही है। वही जला हुआ कोयला नीचे गिरने से जानकार बताते हैं कि सल्फर गैस की संभावनाएं बनती है जो कि परियोजना में बड़ी संख्या में वहां काम करने वालों के लिए भारी नुकसानदायक है वह एरिया में फैलने से इसका जनहानि ‌होकर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता सकता है। पर इस परियोजना की जिम्मेदारो द्वारा जानकर या अनजान होकर जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है जो कि प्रदूषण के नियमों का भी भारी उल्लंघन है इस घोर लापरवाही पर अभी तक काम कर‌ रही जे टेक कंपनी पर कोई तक कोई कार्रवाई नहीं की जाना शंकाओं को जन्म देता है। जबकि इस कार्य के लिए सालाना करोड़ों रुपए जेके कंपनी को परियोजना विभाग से दिए जा रहे हैं। ऐसी अनदेखी समझ के परे है और पुरा मामला जांच को दस्तक दे रहा है।