भोपाल। गुड गर्वनेंस और सुशासन के प्रदेश सरकार के नारों को अधिकारी धता दिखाते नजर आ रहे हैं। सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतों की दुर्गति ने इस योजना के असल मकसद से भटका दिया है। इस पोर्टल पर दर्ज होने वाली ज्यादातर शिकायतों को न तो उचित समाधान मिल रहा है और न ही दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही हो पा रही है।
सीएम हेल्पलाइन 181 पर दर्ज अधिकांश शिकायतों को अधिकारियों द्वारा भटकाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इनके संबंधित अधिकारी के पास पहुंचने की बजाए यहां-वहां भेज दिया जाता है, जिससे कार्यवाही लंबित होते हुए लंबी प्रक्रिया तक पहुंच जाती है। महीनों में जिम्मेदार अधिकारी तक पहुंचने पर शिकायत को लेकर गुमराह करने वाले जवाबों से भी कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। एल वन से शुरू होकर एल फोर तक पहुंचने के दौरान शिकायत इतनी पुरानी हो जाती है कि उसका असल मकसद ही खत्म जैसा होने लगता है। अंत कोशिश के रूप में विभाग इस शिकायत को फोर्स क्लोज की मोहर चस्पा कर मामले का समापन कर देते हैं।
मामला एक सीमांकन में गड़बड़ी
अशोक नगर के पिपरई के एक सीमांकन मामले की शिकायत 17 जून को की गई थी। जनजातीय समुदाय से जुड़े लोगों के सीमांकन को लेकर राजस्व अधिकारियों द्वारा की गई कोताही को संबंधित अधिकारी लगातार गुमराह करते जा रहे हैं। करीब 15 दिन बाद शिकायत पर जवाब देते हुए विभाग ने इसको न्यायालयीन कार्यवाही के अधीन बताते हुए कार्यवाही करने से इंकार कर दिया है। जबकि शिकायतकर्ता ने एक ही तरह के कई मामलों की एकसाथ शिकायत की थी। करीब ढाई महीना गुजर जाने के बाद भी कार्यवाही ठंडे बस्ते में है।
कर दिए नियमविरुद्ध तबादले
धार जिले में जनजातीय कार्य विभाग द्वारा तबादलों के नाम पर भारी घोटालों को अंजाम दिया। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक से लेकर उर्दू स्कूल में हिंदी अध्यापक की नियुक्ति जैसी धांधलियां भी इस दौरान की गई हैं। लोकायुक्त जांच और सजा से घिरे अधिकारी को पुनः जिम्मेदारी दे दिए जाने को लेकर भी सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की गई थी, लेकिन विभाग शासकीय आदेशों और नियम-प्रक्रिया के पालन का हवाला देते हुए तबादलों को उचित करार दे रहा है। करीब डेढ माह पुरानी इस शिकायत पर भी फिलहाल ठंडी कार्यवाही जारी है।
पर्यावरण के नुकसान पर भी खामोशी
धार जिले में स्थित एक सीमेंट फैक्ट्री द्वारा लगातार नियमों की धज्जियां उडाई जा रही हैं। क्षेत्र में पर्यावरण के नुकसान के साथ शासकीय नहर पर कब्जा कर लिए जाने के हालात भी इस सीमेंट कंपनी ने बना दिए हैं। सरकारी पैसों के गबन के मामले भी इस फैक्ट्री के साथ जुडे हैं। लेकिन करीब एक माह पहले सीएम हेल्पलाइन पर की गई इस शिकायत पर फिलहाल यह ही तय नहीं हो पाया है कि इसकी जांच और कार्यवाही किस विभाग को करना है। एक माह से यह शिकायत इस विभाग से उस विभाग तक चक्कर ही काट रही है।
सीएम जता चुके हैं नाराजगी
सीएम हेल्पलाइन पर अधिकारियों द्वारा शिकायतों को लेकर की जा रही लेटलतीफी और फोर्सक्लोज की स्थितियों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी नाराजगी जता चुके हैं। उन्होंने लगातार कई बैठकों में इस स्थिति को सुधारने और शिकायतों के उचित समाधान की ताकीद की है। सीएम ने इसको लेकर यह भी कहा है कि हेल्पलाइन पोर्टल की शिकायतों पर पुख्ता कार्यवाही न किए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।