मोहित सोनी
आष्टा। एक कहावत है जहां आग लगती हे धुंआ वही से उठता हे, यह बात इसलिए कही जा रही हे की सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इन दिनों प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष केवल नगर पालिका ही सुर्खियों में बनी हुई है। जिस तरह से जिम्मेदारों की नियत पर सवाल खड़े हो रहे हैं और जिम्मेदार लोग मोन साधे हुए हे उससे व्यवस्था और व्यवस्थापक ज्यादा शंकास्पद दिखाई दे रहे हैं। वैसे भी शहर में चल रहे निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की कहानी स्वयं कह रहे हैं। आश्चर्य होता है, नगर पालिका के जिम्मेदार लीज पर सामुदायिक भवन के लिए मिली जगह को अपने स्वार्थ की भेंट चढ़ा बैठे थे। राजस्व से लीज किराए पर सार्वजनिक उपयोग के लिए मिली जगह पर नगरपालिका ने अपना गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए बिना स्वीकृति और बगैर आधार के व्यवसायिक दुकानों का निर्माण कर दिया। दुकानों के आवंटन की सारी प्रक्रिया संपादित कर डाली, इस तरह लाखो रुपया अपने स्वार्थ की बलि चढ़ा दिए और बेचारे दुकानों के लिए डाले टेंडरों के धारक आज भी टक टकी लगाए नगरपालिका की ओर देख रहे है। पहली बार देखा नगर पालिका द्वारा शहर में कराए जा रहे सड़क नाली वा अन्य निर्माण कार्य बहुत हद तक रात्रि कालीन समय में चल रहे हैं, अब रात्रि समय में हो रहे निर्माण कार्य की क्वालिटी और गुणवत्ता किस स्तर की है निर्माण कार्य स्वयं गवाही दे रहे हैं।
बगैर परिषद की बैठक में निर्णय या सहमति बनाए लाखो की खरीददारी वा फिजूल खर्ची करना भी जिम्मेदारों की नियत पर सवाल खड़े करती है और बड़ी बात यह हे की इन सब कारगुजारियो का जिसने विरोध करने का प्रयास किया उसे बाहर का रास्ता बता दिया अब आप क्या कहेंगे? पर अंदाजा तो लगा ही सकते हैं की कारगुजारियों में बड़ा घाल मेल है जो की जागरूक लोग ग्राउंड जीरो पर जाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट उकेर कर चला रहे हे। इससे भी पता चलता हे की कुछ तो सच्चाई हैं मामले में जो सोशल मीडिया की सुर्खियां बने हुए है। इन मामलों की जांच अब बहुत जरूरी दिखाई दे रही हे।
आश्चर्य होता हे, शहर का विकास लगभग मोहल्लों में रात्रि समय में सड़क नाली निर्माण कर हो रहा हे, अब विकास कितना वफादारी से हो रहा है रात में हो रहे निर्माण कार्य बता रहे है।
इस मामले में एक टेंडर धारक से जब जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया की टेंडर को लेकर नगर पालिका भ्रमित कर रही हैं और कोई अधिकारी जवाब नही दे रहा है। वही हमारे सूत्रों की जानकारी अनुसार जो टेंडर आए हुए है वो बंद डब्बे में न होकर अधिकारी के बेग में रखे है जो नियम विरुद्ध है।
जब इस संबंध में जानकारी के लिए आष्टा नगर पालिका मुख्य अधिकारी राजेश सक्सेना को फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन नही उठाया।