भोपाल। चंद कदम दूर खड़े विधानसभा चुनाव को लेकर जहां सियासी दल अपनी तैयारियों पर आगे बढ़ चुके हैं, वहीं प्रशासनिक अमले ने भी इस महोत्सव को पूरे उत्साह से मनाने के लिए तैयारियों को अंजाम देना शुरू कर दिया है। प्रदेश के दूरस्थ बसे इलाकों और बिना सुविधा वाले क्षेत्रों तक भी पहुंचकर अधिकारी लोगों को मताधिकार दिलाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं।
अलिराजपुर जिला कलेक्टर डाॅ. अभय अरविंद बेडेकर ने भी इसी धारणा के साथ काम की रफ्तार बढा दी है। वे सतत जिले के आखिरी कोने तक जाकर मतदान व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं। हाल ही में उन्होंने जिला प्रशासन के पूरे अमले और पुलिस प्रशासन की टीम के साथ अति दूर बसे ग्राम झंडाना का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने जो अनुभव लिए, उसको अपनी फेसबुक वाॅल पर भी शेयर किया है। डाॅ. बेडेकर लिखते हैं कि वे अलिराजपुर के पुलिस अधीक्षक राजेश व्यास और ज़िला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभिषेक चौधरी और अन्य अधिकारियों के साथ 10 सितंबर को अलिराजपुर मुख्यालय से लगभग 60 किमी दूर ग्राम पंचायत झण्डाना गए थे। झण्डाना एक ऐसा गाँव है, अलिराजपुर ज़िले में, जहाँ मतदान दल को मतदान करवाने के लिये नाँव से जाना पड़ता है। पुण्य सलिला माँ नर्मदा के बैक वाटर्स को पार करके पहाड़ी पर चढ़ के झण्डाना गाँव के पंचायत भवन तक पहुँचना पड़ता है। झण्डाना, सुगट और चमेली ये तीन गाँव हैं इस पंचायत में और कुल 13 फलिये हैं जिनमे कुल 1624 लोग रहते हैं।
ये हमारे लोकतंत्र की ताक़त है और हमारी लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था है कि कितनी भी मुश्किल हो पर हम निर्वाचन आयोग के मार्गदर्शन में ऐसे सभी स्थानों पर भी मतदान केंद्र बनाते हैं, जो दूरस्थ हैं और दुरूह हैं। इसलिये मैं और पुलिस कप्तान मतदान केंद्र का निरीक्षण करने गये थे और साथ ही उक्त पंचायत और उसके गाँवों की वस्तुस्थिति जानने और समझने भी।
हींगा सोलिया 27.28 साल के नौजवान हैं और सोंडवा जनपद के सदस्य भी। झण्डाना पंचायत उन्हीं के जनपद क्षेत्र में पड़ती है और वो बहुत सक्रिय भी रहते हैं। जब मैंने उन्हें बताया कि हम लोग ना सिर्फ़ मतदान केंद्र देखने आए हैं बल्कि उनकी समस्याएँ जानने भी आये हैं तो उनका कहना था कि यहाँ कि मुख्य समस्या एप्रोच रोड है। चमेली गाँव के पटेल फलिया से लेकर झण्डाना के पटेल फलिया तक अगर 3.5 किमी लंबी रोड बन जाये तो झण्डाना और ऊपर सुगट तक भी जाना सुगम हो जायेगा। लगभग 1600.1700 लोग हैं, जो रोज़ कष्ट सहते हैं लेकिन आजतक हमारी कोई मदद नहीं हुई। ये सड़क मात्र कच्ची सड़क बनना है, जो नर्मदा के बैक वाटर्स के किनारे.किनारे बनेगी पर बीच में फ़ॉरेस्ट लगता है, इसलिए शायद आजतक नहीं बन सकी।
हमने तय किया कि ये सड़क हम अवश्य बनवा के रहेंगे ताकि गाँव वालों को, हमारे आदिवासी भाई बहनों को राशन लेने कम से कम नाँव से ना जाना पड़े। आज तो राशन लेने भी वो नाँव से जाते हैं क्यूकि नाँव से जाना उन्हें पठार.पहाड़ पार कर जाने से ज़्यादा आसान लगता है।
हींगा सोलिया ग्रेजुएट हैं और समाजशास्त्र पड़े हैं और अभी भी झण्डाना में ही रहते हैं। जब उनका गाँव डूब में आया था तो डूब में आने वाला आख़िरी घर उनका ही था जो अब पूरी तरह टूट चुका है पर उसके ईंट पत्थर और अवशेष अभी भी वहीं पड़े हैं। हम लोग जब नाँव से उतरे थे तो जिस जगह उतरे थे वो उसी के घर के अवशेष थे। नर्मदा के किनारे होने के बावजूद भी पीने के पानी की उनकी समस्याये हैं क्यूकि वॉटर लेवल काफ़ी नीचे है। मुझे आश्चर्य हुआ तो उन्होंने बताया कि पूरा गाँव पहाड़ी पर बसा है इसलिए बोरवैल करना आसान नहीं है। मतदान में अब काफ़ी कम समय बचा है और झण्डाना और चमेली दोनों मतदान केंद्र हमने देखे और उन्हें चाक.चौबंद करने के निर्देश दिये ताकि मतदान के समय पोलिंग पार्टी को तकलीफ़ ना हो।
पंचायत में लगभग 148 पीएम आवास स्वीकृत हैं पर ज़रूरत ज़्यादा की है और राशन की दुकान तो इस पंचायत में है ही नहीं।अब शासन ने प्रत्येक पंचायत में राशन दुकान अनिवार्य कर दी है तो इस पंचायत में भी दुकान खुल जाएगी।