भोपाल। विधानसभा चुनाव की घंटियां बजने के साथ प्रदेश में मौजूद बड़ी राजनीतिक पार्टियों में भागमभाग के हाल पसरे दिखाई दे रहे हैं। बात अभी बड़ी पार्टियों तक थे, लेकिन इनका असर अब उन दलों पर भी दिखाई देने लगा है, जिनकी मौजूदगी दोनों बड़े दलों को फायदा और नुकसान पहुंचाने की नीयत रखे हुए हैं।
देश के दो बड़े राज्यों में अपनी ताकत दिखा चुकी आम आदमी पार्टी इस विधानसभा चुनाव मप्र में भी अपनी पकड़ बनाने को आतुर है। पहली सूची जारी कर आप ने अपने प्रत्याशियों के ऐलान की शुरुआत कर दी है। पार्टी का इरादा प्रदेश की सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार देने का है। दो दिन पहले आई आम आदमी पार्टी की पहली सूची के साथ ही टिकट चाहतमंदों का विद्रोह सामने आने लगा है। पार्टी के कई पुराने और शुरुआती दौर के कार्यकर्ता दूसरे दलों की तरफ पलायन करने लगे हैं।
राजा पहुंचे राजा के पाले में
आम आदमी पार्टी के शुरुआती दौर से जुड़े अमीन राजा ने पिछले दिनों कांग्रेस का दामन थाम लिया। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से मुलाकात कर कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की हैं। करीब 9 साल से आम आदमी पार्टी से जुड़े अमीन पार्टी की चुनाव समिति के सदस्य थे। वे राजधानी भोपाल की मध्य विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी भी कर रहे थे। हालांकि आप ने अब तक राजधानी की सीटों के लिए टिकट ऐलान नहीं किए हैं लेकिन इससे पहले ही यहां भागदौड़ और नाराजगी या बगावत के हालात बनने लगे हैं। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी से इससे पहले भी कई पुराने और कद्दावर नेता पलायन कर चुके हैं। इनमें मेघा पाटकर, अक्षय हुंका, नेहा बग्गा, आलोक अग्रवाल, भारत सखलेचा जैसे नाम शामिल हैं।
एमआईएम में भी टूट के हालात
असद उद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) नगरीय निकाय चुनाव में अपने कुछ प्रत्याशियों को जीत दिलाने में कामयाब हो चुकी है। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि इस विधानसभा चुनाव में पार्टी अपने प्रत्याशियों को मैदान देगी। लेकिन प्रदेश में चंद हाथों में सिमटी एमआईएम अब तक तरीके से अपना विस्तार भी नहीं कर पाई है। काजी सैयद अनस अली नदवी, तौकीर निजामी, शोएब पठान जैसे कुछ लोग इस पार्टी को आगे धकेलने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की अनिच्छा और बेरुखी से इन मुस्लिम नेताओं को भी मायूसी मिलने लगी है, जिसके चलते ये पार्टी से छिटकते दिखाई देने लगे हैं।