Home » उत्तर के निर्दलीय उम्मीदवार ने अकील को बताया मुस्लिम विरोधी
मध्य प्रदेश

उत्तर के निर्दलीय उम्मीदवार ने अकील को बताया मुस्लिम विरोधी

भोपाल। जिन मुस्लिम वोटों के सहारे पूर्व मंत्री आरिफ अकील बरसों बरस अपनी सत्ता का सिक्का जमाए बैठे रहे, उस कोम को कभी अपना माना ही नहीं। मुस्लिम समुदाय जिन काजी मुफ्ती को अपना नायब ए रसूल करार देती है, वह बुजुर्ग हस्तियां भी अकील के लिए महज मामूली नौकर से ज्यादा कुछ नहीं हैं। वक्फ की सैंकड़ों एकड़ जमीन पर अपनी सल्तनत और बड़ा वोट बैंक जमाए बैठे हैं, वक्त आने पर इनके लिए हाई कोर्ट में झूठा शपथ पत्र देने से वे नहीं चूकते।

उत्तर विधानसभा के निर्दलीय उम्मीदवार अता उल्लाह इकबाल ने पूर्व मंत्री आरिफ अकील पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कांग्रेस की 18 महीने की सरकार के दौरान अकील अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे। उनके ही विभाग में आने वाली मसाजिद कमेटी द्वारा काजी मुफ्तियों पर सामान्य कर्मचारियों की तरह आदेश जारी किए गए हैं। इस कमेटी ने तमाम काजी, मुफ्ती, उलेमाओं को किसी भी तरह का बयान, तकरीर या अपनी बात कहने से सख्ती से रोकते हुए उन पर कई पाबंदियां लगा दी थीं। साथ ही यह चेतावनी भी दी गई कि कोई भी काजी या मुफ्ती इस आदेश का उल्लंघन करता पाया तो उसके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। अता उल्लाह ने कहा कि आम कर्मचारियों के साथ किया जाने वाला यह व्यवहार काजी मुफ्ती के साथ किया जाना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अकील की इन दमनकारी नीतियों के खिलाफ ही वे चुनाव मैदान में उतरे हैं।


अता उल्लाह इकबाल ने आरिफ अकील पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अपने विधायक और मंत्री काल में कई मुस्लिम अधिकारियों, कर्मचारियों और आम लोगों का नुकसान किया है। वक्फ बोर्ड से लेकर अन्य सरकारी विभागों के कई अधिकारी अकील के दमन का खामियाजा अब भी भुगत रहे हैं। उनसे पीड़ित लोगों की तादात ढाई दर्जन से ज्यादा है।


निर्दलीय प्रत्याशी अता उल्लाह ने कहा कि अपना वोट बैंक सहेजने की लालच में वक्फ की संपत्ति बाग नुजहत अफजा पर बसाए गए आरिफ नगर को लेकर अदालत में प्रचलित विवाद में अकील ने अपने परिवार के लोगों के नाम के साथ झूठे शपथ पत्र प्रस्तुत कर दिए। जिसमें उन्होंने कहा कि उनका इस क्षेत्र को विकसित करने या यहां के आधिपत्य से कोई लेना देना नहीं है। अता उल्लाह ने कहा कि वक्फ की सैंकड़ों एकड़ जमीन पर बसे आरिफ नगर के लोगों पर वे अपनी धौंस भी जमाए बैठे हैं और उन्हें बोर्ड से किरायादारी भी नहीं करने देते। इस तरह के प्रयास करने वालों के खिलाफ वे अपने रसूख से कानूनी कार्यवाहियां भी करवाने से नहीं चूकते। आरिफ नगर में ही वक्फ की जमीन पर स्टेडियम और सहारा एजुकेशन के नाम से बड़े निर्माण भी अकील और उनके परिवार ने कर रखे हैं। जिनसे हर दिन हजारों रुपए प्रति घंटा की कमाई की जा रही है, लेकिन इस राशि का कोई अंश वक्फ बोर्ड को जमा नहीं किया जाता।

मामले और भी कई

=मरहूम गुफरान ए आजम के कार्यकाल में वक्फ बोर्ड ने शहर की मस्जिदों के ईमाम मुअज्जिन को प्लॉट आवंटित किए थे। लेकिन अकील की हठधर्मिता से उन्हें इस जमीन पर बसने नहीं दिया गया।
=अकील के खिलाफ आवाज उठाने पर अता उल्लाह को महीनों जेल में रहना पड़ा। जबकि अजीम दुर्रानी नामक व्यक्ति बरसों से बेकुसूर जेल भुगत रहा है। ऐसे कई पीड़ित और भी हैं।
=आरिफ नगर निवासियों से समय समय पर लोगों से जजिया टैक्स वसूल किया जाता है। न देने वालों को बेदखल कर दिए जाने की परंपरा भी है।
=मुस्लिम वोटों के सहारे जीत हासिल करने वाले अकील इस समुदाय को हमेशा उपेक्षित और दरकिनार करते रहे हैं।

=अकील के एक पक्षपात से उनके परिवार में विघटन के हालात बन गए हैं, लेकिन समुदाय का बरसों से दमन करने के बाद भी इस समुदाय से वोट अपेक्षा रखते हैं।