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मध्य प्रदेश

प्रदेश की इकलौती दो मुस्लिम सीटों पर कौम की ही सेंधमारी=राजधानी के मुस्लिम विधायकों का मुकाबला अपनी ही कौम से

भोपाल। प्रदेश में कभी 20 से 22 तक मुस्लिम विधानसभा पर मुस्लिम नेतृव हुआ करता था। सिमटने के हालात महज दो सीटों तक पहुंच गए हैं। ऐसे में इन दोनों सीटों पर भी इस विधानसभा चुनाव में कौम के ही विघ्नसंतोषी सेंधमारी करने पर उतारू दिखाई दे रहे हैं। यहां मैदान में रहने वाले कांग्रेसी दोनों विधायकों का मुकाबला इस बार भाजपा से कम और अपने ही समुदाय के बिखरे हुए नेताओं से ज्यादा होने के आसार बन गए हैं।

राजधानी की उत्तर और मध्य विधानसभा प्रदेश की इकलौती दो मुस्लिम विधायकों वाली सीटें हैं। पिछले चुनाव कांग्रेस ने कुल 3 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से राजधानी भोपाल की दो सीटों के अलावा एक टिकट सिरोंज से मसर्रत शाहिद को दिया गया था। ऐन वक्त पर किए गए ऐलान से मसर्रत को हार का मुंह देखना पड़ा था। जबकि राजधानी की दोनों सीटों को आरिफ अकील और आरिफ मसूद ने अपनी व्यक्तिगत मेहनत से जीत में बदला था।

अब नाराजगी का दौर

उत्तर विधानसभा पर 6 बार की जमावट के बाद आरिफ अकील ने अपने स्थान पर बेटे आतिफ को मैदान देने का ऐलान किया है। हालांकि फिलहाल टिकट ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन इससे पहले ही इस नाम पर आपत्तियां, नरजगियां और विरोध उभरने लगा है। इधर मध्य विधानसभा में मौजूदा विधायक आरिफ मसूद को लेकर भी उनकी ही पार्टी और समुदाय के लोगों का विरोध पसरा हुआ है। निकाय चुनाव में असहयोग और विकास कार्यों में भेदभाव के चलते उनके रास्ते में रुकावटों की लंबी कतार खड़ी हो गई है।

मुकाबला अपनों से

अकील के फैसले को चुनौती देने वालों में सबसे आगे उनके परिजन हैं। भाई आमिर अकील और दोनों बेटे अपनी दावेदारी आगे कर रहे हैं। टिकट न मिलने के हालात में विद्रोह और असहयोग के हालात भी बन सकते हैं। इसके अलावा पूर्व पार्षदों के एक दल ने महा गठबंधन का ऐलान कर चुनावी समीकरण गड़बड़ाने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। इसके अलावा यहां एमआईएम और आम आदमी पार्टी भी अपने प्रत्याशियों की मौजूदगी डालकर कांग्रेस वोटों का नुकसान करने की तैयारी में हैं। ऐसे ही हालात मध्य विधानसभा में मसूद से नाराज लोगों ने बनाना शुरू कर दिए हैं। पूर्व पार्षद रईसा मलिक, कांग्रेस नेता सैयद साजिद अली, सपा नेता शमसुल हसन, पार्षद टिकट से वंचित रहे बुधवारा से लेकर जहांगीराबाद तक के कई कार्यकर्ता और विकास कार्यों में भेदभाव के फरियादी बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता इस चुनाव में आरिफ मसूद के लिए बाधा बने हुए खड़े हैं।

बीजेपी आश्वस्त

उत्तर और मध्य विधानसभा के लिए भाजपा से घोषित किए जा चुके उम्मीदवार आलोक शर्मा और ध्रुव नारायण सिंह इस तोड़फोड़ पर न सिर्फ नजरें गड़ाए बैठे हैं, बल्कि वे इस मौके का फायदा उठाने की रणनीति में भी आगे बढ़ गए हैं। खुद की मजबूती से ज्यादा सामने वाले को कमजोर करने की नीति पर इन्होंने काम शुरू कर दिया है। उत्तर और मध्य विधानसभा सीटों में वोट काटो रणनीति के तहत मुस्लिम बिचौलियों को प्रोत्साहित भी कर रही है और इन्हें आर्थिक रूप से पोषित भी कर रही है।

नहीं संभले तो हार निश्चित

कांग्रेस की कमजोरियों को जीत का मजबूत अस्त्र मानकर भाजपा अपने कदम बढ़ा रही है। लेकिन डेमेज कंट्रोल के नाम पर कांग्रेस ने फिलहाल कोई पहल नहीं की है। मुस्लिम समुदाय से मैदान में आने वाले संभावित नामों से न तो फिलहाल किसी तरह की चर्चा शुरू की गई है और न ही इन्हें समझाइश के साथ अपने पाले में रखने की कोई कोशिश ही हुई हैं।